लोकतंत्र में लघु व मझोले समाचार पत्रों का विशिष्ट महत्वः राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन

फेडरेशन की उड़ीसा इकाई द्वारा राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

       भुवनेश्वर (रोज़ाना ब्यूरो)। ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन की उड़ीसा इकाई द्वारा भुवनेश्वर के मेफेयर कन्वेशन होटल में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसको वर्चुअल सम्बोधित करते हुए छत्तीसगढ के राज्यपाल महामहिम विश्वभूषण हरिचंदन ने कहा कि लोकतंत्र में लघु व मझोले समाचार पत्रों का विशिष्ट महत्व है। इन समाचार पत्रों ने कोविड महामारी के दौरान भी आम जनता तक सही प्रकार की जानकारी पहुंचाकर प्रशंसनीय कार्य किया है। उन्होने महात्मा गांधी की ‘यंग इंडिया’ पत्रिका का उदाहरण देते हुए कहा कि यह छोटी समाचार पत्रिका थी जिसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जागृति पैदा की। ऐसी पत्र-पत्रिकाएं अभी भी न सिर्फ प्रासंगिक है बल्कि अभी भी जीवन्त हैं और फल-फूल रही हैं। फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के वरिष्ठ सदस्य सरदार गुरिन्दर सिंह ने लघु व मझोले समाचार पत्रों की समस्याओं की ओर ध्यान दिलाते हुए लोकतंत्र में इनकी भूमिका को जरूरी बताया। उन्होने कहा कि लघु व मझोले समाचार पत्र सदैव आम आदमी की आवाज रहे हैं और इनके बिना स्वस्थ लोकतंत्र की परिकल्पना असंभव है।

       सम्मेलन को पूर्व सांसद व उड़ीसा राज्य प्लानिंग बोर्ड के सदस्य श्री प्रसन्ना पटसानी, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य डा. एल. सी. भारतीय, फेडरेशन के उपाध्यक्ष व प्रेस काउंसिल के पूर्व सदस्य बी. एम. शर्मा, फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव व प्रेस काउंसिल के पूर्व सदस्य अशोक कुमार नवरत्न ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर फेडरेशन के संस्थापक स्व. श्री हरभजन सिंह जी के अविस्मरणीय योगदान पर आधारित एक लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। सम्मेलन में फेडरेशन की दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब, छत्तीसगढ, मध्यप्रदेश, कर्नाटक आदि प्रदेश इकाइयों के अध्यक्ष व कार्यकारिणी के सदस्यों ने भाग लिया।

       उड़ीसा प्रदेश के अध्यक्ष सुधीर कुमार पांडा ने सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि हम एक बुनियादी सवाल से जूझ रहे हैं जो अखबारों के अस्तित्व के मूल में है कि क्या अखबार प्रकाशित करना सामाजिक सेवा है या औद्योगिक गतिविधि ? यदि समाचार पत्र का प्रकाशन एक सामाजिक सेवा माना जाता है, जो सूचना प्रसारित करने, पारदर्शिता को बढ़ावा देने और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तो अखबारी कागज पर जीएसटी लगाने का बोझ क्यों डाला गया है और यदि व्यवसाय की श्रेणी में माना गया है तो फिर प्रसार जांच और पेड न्यूज न होने जैसी बाध्यता क्यों ? उन्होने सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए अखबारों से शिकंजा हटाने पर बल दिया।

       पूर्व सांसद व उड़ीसा राज्य प्लानिंग बोर्ड के सदस्य प्रसन्ना पटसानी ने फेडरेशन के कार्यों की प्रसंशा करते हुए कहा कि मैं बहुत लम्बे समय से फेडरेशन का शुभचिंतक हूं। पहले आदरणीय स्व. हरभजन सिंह जी लघु व मझोले समाचार पत्रों के हितों के लिए जोरदार लड़ाई लड़ते थे और अब श्री गरिन्दर जी इन समाचार पत्रों का अस्तित्व बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। मैं इनकी भूरि-भूरि प्रसंशा करता हॅूं तथा इन्हे हमेशा सहयोग करने के लिए खड़ा हूूं।
       सम्मेलन में सर्व श्री दिनेश शक्ति त्रिखा, मो. एच. यू. खान, मलय बैनर्जी, तरूण शाहू, डा. डी. डी. मित्तल, पवन नवरत्न, आसिफ जाफरी ‘विक्रांत’, सौरभ वार्ष्णेय, नीरज गुप्ता, श्रीमति वन्दना सहयोगी, श्रीमती प्रिया गुप्ता, बिजेन्द्र गोस्वामी सहित विभिन्न प्रदेशों की इकाइयों से सदस्यों व पदाधिकारियों ने प्रतिभाग किया।

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