केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर

देहरादून। केंद्र सरकार की “पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) योजना के तहत उत्तराखंड में स्मार्ट विद्युत मीटर लगाने का कार्य शुरू हो गया है। इन दिनों उत्तराखंड राज्य में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का कार्य बेहद तेजी से चल रहा हैं, जहां ऊर्जा निगम की ओर से कुमाऊं क्षेत्र में अडानी ग्रुप को 6.25 लाख मीटर का जिम्मा सौंपा गया है, वहीं गढ़वाल क्षेत्र में जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड कंपनी की ओर से लगभग 9.62 लाख मीटर की स्थापना की जाएगी। बताया जा रहा हैं की फिलहाल मार्च तक का बिल पुरानी व्यवस्था के अनुसार ही आयेगा, लेकिन अप्रैल माह मे जब कम्पनी का एप्प बन कर तैयार हो जायेगा, तब से उत्तराखंड पावर कारपोरेशन के द्वारा बिल भेजने की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और नई नीति के तहत प्रीपेड रिचार्ज शुरू हो जायगा। उत्तराखंड राज्य में बिजली के स्मार्ट मीटरों पर जमकर राजनीति हो रही है। बीते दिनों किच्छा से कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ ने स्मार्ट मीटर तोड़कर अपने गुस्से का इजहार किया, तो अब उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने स्मार्ट विद्युत मीटर को गरीबों का उत्पीड़न करने वाला बताया है। करन माहरा ने आज कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया कर्मियों से वार्ता करते हुये आरोप लगाया कि समूचे उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर लगाने का काम एक विशेष औद्योगिक घराने की कंपनी को दिया गया है, इस औद्योगिक घराने को फायदा पहुंचाने की नीयत से प्रदेश में स्मार्ट विद्युत मीटर लगाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाए गए थे। इन इलेक्ट्रॉनिक मीटरों को हटाकर अब एक बार फिर स्मार्ट प्रीपेड विद्युत मीटर लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा सरकार के इस निर्णय से कहीं ना कहीं विभाग और आमजन के बीच हमेशा तालमेल की कमी बनी रहेगी। करन माहरा ने उदाहरण दिया की साल के कम से कम 3 महीने यहां का काश्तकार बड़ी मुश्किलों में रहता है, जब वह बीज, खाद, गुड़ाई के लिए लेबर इत्यादि के लिए पैसा खर्च करता है, उस वक्त किसान की बड़ी तंग स्थिति हो जाती है। अक्सर यह भी देखने में आता है कि किसान कभी अपने दो-दो माह के बिजली के बिलों का भुगतान समय पर नहीं कर पाता था, लेकिन सतत प्रक्रिया के तहत किसान इकट्ठा अपने 3 माह के विद्युत बिलों का भुगतान कर दिया करता था। अब स्मार्ट मीटर इस तरह का होगा, जिस तरह मोबाइल में प्रीपेड वाउचर खत्म और बातचीत खत्म। करन माहरा का कहना है कि आने वाले समय में लोगों के साथ बहुत बड़ी दिक्कत आने वाली हैं। उनका कहना है कि भारत में लोअर अपर और मिडिल क्लास के लोग रहा करते हैं, हमको सबको साथ लेकर चलना पड़ेगा. भारत में गरीब लोग भी रहा करते हैं, स्मार्ट मीटर उनकी कमर तोड़ने का काम करेगा।
केंद्रीय विद्युत और आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में 16 जनवरी, 2025 को नई दिल्ली में “पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के कार्यान्वयन” विषय पर चर्चा हेतु विद्युत मंत्रालय के लिए सांसदों की परामर्शदात्री समिति की बैठक आयोजित की गई थी। जिसमे कहा गया की स्मार्ट मीटर से उपभोक्ताओं और वितरण कंपनियों दोनों को लाभ होगा, क्योंकि इससे बिलिंग में त्रुटियां कम होंगी, ऊर्जा दक्षता बढ़ेगी और उपयोगकर्ताओं को अधिक सुविधा मिलेगी।
आरडीएसएस के बारे में :- भारत सरकार ने 3,03,758 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) शुरू की, जिसमें केंद्र सरकार से 97,631 करोड़ रुपये का अनुमानित सकल बजटीय समर्थन (जीबीएस) शामिल है। इस योजना को वित्तीय रूप से टिकाऊ और परिचालन की दृष्टि से कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इस योजना का उद्देश्य अखिल भारतीय स्तर पर एटीएंडसी घाटे और एसीएस-एआरआर के अंतर को कम करना है। इस योजना की अवधि (वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक) यानी 5 वर्ष है। योजना के तहत फंड जारी करने को परिणामों और सुधारों से जोड़ा गया है। यह योजना राज्यों को सुधार से जुड़े अनुकूलित उपायों को अपनाने और राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इंफ्रास्ट्राक्चअर संबंधी कार्यों की योजना बनाने की अनुमति देती है। सभी वितरण उपयोगिताएं यानी सभी वितरण कंपनियां (डिस्कॉूम) और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के बिजली विभाग, निजी क्षेत्र की डिस्कॉकम को छोड़कर, इस योजना के तहत वित्तीय सहायता के लिए पात्र हैं। इस योजना में दो भाग हैं:-
भाग ए- प्रीपेड स्मार्ट उपभोक्ता मीटरिंग, स्मार्ट/संचार प्रणाली मीटरिंग और वितरण संबंधी इंफ्रास्ट्रहक्चार के उन्नयन के लिए वित्तीय सहायता।
भाग बी – प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण आदि
प्रगति की समीक्षा :- अब तक निगरानी समिति (एमसी) की 45 (45) बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। 19.79 करोड़ स्मार्ट उपभोक्ता मीटरों को कवर करने वाले स्मार्ट मीटरिंग कार्य, 52.53 लाख वितरण ट्रांसफार्मर (डीटी) मीटरों और 2.1 लाख फीडर मीटरों को कवर करने वाले सिस्टम मीटरिंग कार्यों को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा, 32 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये के नुकसान कम करने के कार्यों को मंजूरी दी गई है। अब तक 1.12 लाख करोड़ रुपये के कामों को मंजूरी दी जा चुकी है, जो कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इसके अलावा, स्मार्ट मीटर के काम में भी तेजी आई है। अब तक लगभग 11.5 करोड़ स्मार्ट उपभोक्ता मीटर, 45 लाख डीटी मीटर और 1.70 लाख फीडर मीटर दिए जा चुके हैं और उनकी स्थापना की जा रही है। प्रस्तुति में असम और बिहार की उपयोगिताओं के लिए स्मार्ट मीटर द्वारा किए गए सकारात्मक प्रभाव और बदलाव पर भी प्रकाश डाला गया। विश्लेषण के अनुसार, असम में लगभग 44 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने खपत पर नज़र रखने और सटीक बिलिंग के माध्यम से स्मार्ट मीटर की स्थापना के बाद प्रति माह लगभग 50 यूनिट की बचत की है। इसने असम और बिहार की वितरण कंपनियों को घाटे को कम करने में भी मदद की है, जिसका लाभ अंततः उपभोक्ताओं को मिलेगा। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की रणनीति भी प्रस्तुत की गई। इसमें बताया गया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की शुरुआत सरकारी प्रतिष्ठानों और उसके बाद वाणिज्यिक और औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं और उच्च भार वाले उपभोक्ताओं से की जानी चाहिए। इन श्रेणियों के उपभोक्ताओं के लिए लाभ के प्रदर्शन के आधार पर, अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे। इसके अलावा, स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाले उपभोक्ताओं को बिलों में छूट दी जाएगी।

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