सुप्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का निधन, 86 साल की उम्र में ली आखिरी सांस,शोक में डूबा देश

देश के सबसे बड़े कारोबारी ट्रस्‍ट टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था।बढ़ती उम्र के कारण उन्‍हें कई तरह की परेशानियां थीं।रतन टाटा के लिए देशभर के लोगों में असीम सम्‍मान था। टाटा समूह ने रतन टाटा के निधन की पुष्टि करते हुए कहा कि यह हमारे लिए बहुत बड़ी क्षति है।उन्‍होंने न सिर्फ टाटा समूह को बल्कि देश को भी आगे बढ़ाया है

हर्ष गोयनका ने रतन टाटा के निधन की जानकारी देते हुए एक्‍स पर पोस्‍ट किया है, जिसमें उन्‍होंने कहा कि रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार की मिसाल थे । उन्‍होंने बिजनेस और उससे अलग भी दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है. वह हमारी स्मृतियों में सदैव ऊंचे रहेंगे।

रतन टाटा के नेतृत्‍व में टाटा समूह ने बुलंदियों को छुआ। रतन टाटा 1991 में टाटा समूह के चेयरमैन बने थे और उसके बाद से ही उन्‍होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 2012 तक इस पद पर रहे। उन्‍होंने 1996 में टाटा सर्विसेज और 2004 में टाटा कंसल्‍टेंसी सर्विसेज जैसी कंपनियों की स्‍थापना की थी।
विनम्र व्यवहार के लिए विख्यात रतन टाटा फिलहाल टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन हैं जिसमें सर रतन टाटा ट्रस्ट एवं एलाइड ट्रस्ट के साथ ही सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट एवं एलाइड ट्रस्ट भी शामिल हैं।

रतन टाटा का भारत के कारोबारी जगत में काफी अहम योगदान माना जाता है. वे भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित किए जा चुके हैं । वह प्रतिष्ठित कैथेड्रल और जॉन कानोन स्कूल, बिशप कॉटन स्कूल (शिमला), कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड के पूर्व छात्र हैं।

रतन टाटा का जन्‍म 28 सितंबर 1937 को हुआ था। उन्‍हें एक अरबपति होने के साथ ही एक सहदृय, सरल और नेक व्‍यक्ति के रूप में देखा जाता है. उनसे जुड़े ऐसे कई किस्‍से हैं, जो बताते हैं कि उन्‍होंने बहुत से लोगों की मदद की. साथ ही देश की तरक्‍की में भी रतन टाटा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.

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