देहरादून। उत्तराखंड में राज्य गठन के बाद से भू कानून में कई तरह के संसोधन हुये। साल 2018 में एक दौर ऐसा भी आया जब उत्तराखंड में उघोग धंधों के नाम पर जमीन खरीद की खुली छूट दे दी गई। साल 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद साल 2002 प्रथम निर्वाचित सरकार ने भू-कानून लागू किया। इसके बाद 2004 में जमींदारी एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम में संशोधन किया गया। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उत्तर प्रदेश जमींदारी एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम- 1950 की धारा 154 में संशोधन किया।
इस संशोधन में 12 सितंबर 2003 से पहले अचल संपत्ति नहीं है, उसको कृषि या औद्यानिकी के लिए भूमि खरीदने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। इसका प्रावधान किया गया। साथ ही नगर निगम क्षेत्र से बाहर, राज्य के बाहरी लोग सिर्फ 500 वर्ग मीटर तक जमीनें खरीदने का प्रावधान भी किया गया। इसके बाद 2007 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने भू-कानून को और अधिक सख्त किया। तत्कालीन सीएम बीसी खंडूड़ी ने 2004 में किए गए संशोधन में फिर संशोधन किया। इसके अनुसार, नगर निगम परिधि से बाहर जमीन खरीदने की सीमा को 500 वर्ग मीटर से घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दिया। इसके बाद साल 2018 में हुए इन्वेस्टर्स समिट से पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भू-कानून के नियमों में एक बार फिर बड़ा संशोधन किया।
जिसके तहत प्रदेश भर में जमीनों के खरीदने की बंदिशों को समाप्त करते हुए जमीनों को खरीदने की राह खोली। 6 अक्टूबर 2018 को तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत ने भू-कानून को लेकर एक नया अध्यादेश ‘उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम-1950 में संशोधन का विधेयक’ पारित किया। जिसमें धारा 143 (क), धारा 154(2) जोड़ी गई. जिसके तहत, पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को समाप्त कर दिया गया। इसके अलावा, उत्तराखंड के मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर में भूमि की हदबंदी (सीलिंग) को भी समाप्त कर दिया। ये सब उद्योगों को बढ़ावा देने के नाम पर किया गया। 2018 में जमीनों की खरीद फरोख्त में मिली छूट के बाद फिर राज्य में सशक्त भू-कानून को लेकर आवाज बुलंद हुई, साल 2021 में पुष्कर सिंह धामी ने सशक्त भू-कानून लागू करने के लिए समिति का गठन किया। पूर्व सीएस सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति में राजस्व सचिव ने साथ ही तमाम रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और वर्तमान में बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय को शामिल किया।
भू-कानून के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति का उद्देश्य जनहित और प्रदेश हित को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट तैयार करना था। भू-कानून के लिए गठित समिति ने 2022 में रिपोर्ट सौंपी। इस 80 पन्नों की रिपोर्ट में भू-कानून से संबंधित 23 सुझाव दिए गए। जिसमें मुख्य रूप से प्रदेश हित में निवेश की संभावनाओं और भूमि के अनियंत्रित खरीद-बिक्री के बीच संतुलन बनाने को कहा गया। जिसके बाद अब एक बार फिर से उत्तराखंड की धामी सरकार ने सख्त भू कानून को मंजूरी दी है। इसके अनुसार बाहरी लोग हरिद्वार और उधमसिंह नगर के अलावा शेष 11 जिलों में कृषि व बागवानी के लिए भूमि नहीं खरीद सकेंगे। विशेष प्रयोजन के लिए जमीन खरीदने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी। जमीन खरीदते समय सब रजिस्ट्रार को शपथ पत्र देना होगा।